भ्रष्टाचारी अधिशासी अभियंता द्वितीय, नोएडा संजय शर्मा निलम्बित

मेरठ। भ्रष्टाचार की गंगा में आकंठ तक डूबे भ्रष्टाचारी अधिशासी अभियंता संजय शर्मा पर गाज गिर ही गयी। प्रबंध निदेशक पीवीवीएनएल अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने अधिशासी अभियंता के भ्रष्टाचारी आचरण का संज्ञान लेते हुए निलम्बित करने के साथ एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिये।


बता दें कि नोएडा के अधिशासी अभियंता द्वितीय संजय शर्मा जो पूर्व में मेरठ में विद्युत वितरण खण्ड के अधिशासी अभियंता थे। मेरठ में अधिशासी अभियंता रहते हुए भ्रष्टाचारी संजय शर्मा ने दोनों हाथों से विभाग व उपभोक्ताओं को जमकर लूटा। इस दौरान इन्होंने गरीब उपभोक्ताओं का जमकर शोषण किया परिणामस्वरूप बहुत से उपभोक्ताओं ने अपने घर के जेवर व बर्तन बेचकर अधिशासी अभियंता का पेट भरा। जिनकी बददुआ का परिणाम आज अधिशासी अभियंता को झेलना पड़ रहा है। आखिर पाप का घड़ा एक न एक दिन तो फूटना ही था। 


प्रबंध निदेशक पीवीवीएनएल अरविंद मल्लप्पा बंगारी द्वारा जारी भ्रष्टाचारी अधिशासी अभियंता को निलम्बित करने के साथ एफआईआर दर्ज कराने के आदेश की खबर लगते ही उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ लामबंद हो गयाउत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ ने आपात बैठक बुलाकर प्रबंध निदेशक के आदेश का विरोध किया और ऊर्जा मंत्री की बैठक के बहिष्कार धमकी दे डाली। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ के उपाध्यक्ष सी.पीसिंह ने प्रबंध निदेशक को लिखे पत्र स्पष्ट कहा कि आदेश निरस्त न होने पर हड़ताल की चेतावनी दी। सोचने की बात यह है कि मेरठ में रहते हुए अधिशासी अभियंता संजस शर्मा के खिलाफ बहुत से समाचार पत्रों ने भ्रष्टाचार की पोल खोली परन्तु प्रबंध निदेशक ने कोई भी कार्यवाही नहीं की। हर बार समीक्षा बैठक में संजय शर्मा को आगाह किया कि संभल जाओ तुम्हारे खिलाफ बहुत शिकायतें आ रही हैंजिसके चलते संजय शर्मा के हौसले बुलन्द होते गये।आखिरकार भ्रष्टाचार एक दिन पकड़ में आ ही गया। प्रबंध निदेशक को अधिशासी अभियंता संजय शर्मा के मेरठ रहते किये गये कार्यों की जांच किसी जांच एजेंसी से करानी चाहिये। 


मेरठ में तैनाती के दौरान संजय शर्मा ने 6000 मीटर उतारकर स्वयं डिकलेयर कर सबको चोर बताकर मोटी रकम डकार गया। जबकि मीटर केवल ए.ई. मीटर ही डिकलेयर कर सकता है और वही मीटर को खोलता है। इस भ्रष्ट संजय शर्मा ने हापुड़ अड्डे, जब्बार बिल्डिंग निवासी एक गरीब बीमार व्यक्ति के केबिल को फर्जी बताकर उस पर लाखों का असिस्मेंट बनाया। वहीं जिलानी नामक व्यक्ति जिसका मीटर साफ-सुथरा था, उसके खिलाफ भी बिजली चोरी का मामला दर्ज कराया था। इसकी भी जांच करायी जानी चाहिये।